Tuesday, 1 November 2011

सरकार माफ़ हो गुस्ताखी,  कुछ  खोटी  खरी  सुनाता हूँ।
मैं  तेरा  हूँ  तेरा  होकर,   दर   दर   की  ठोकर  खता  हूँ॥
तू समरथ वारिस है फिर भी,  लावारिस  मैं  कहलाता हूँ।
तू व्यापक हर जर्रे़ में  है  पर,  दीदार   न   तेरा  पाता  हूँ॥
है करम तेरा मुझपर बेहद, यह  भी  अनुमान  लगता  हूँ।
पर इस चंचल मन पर रहवर, अधिकार नहीं कर पता हूँ॥
मन में रहेती  दुनियादारी,  बगुला  सा  ध्यान  लगता  हूँ।
तुझको  खुश  करने की खातिर,  आँसू  भी नहीं बहता हूँ॥
कर  नज़रे इनायत करूणाकर,  मैं  माया  से  घबरता  हूँ।
झूठा  ही  सही पर नाम  'कृपालु'  ले कर  तुझे बुलाता  हूँ॥

Wednesday, 26 October 2011

गुरुदेव कृपालु कृपा अस कर।
प्रणमामि अहर्निश श्री चरणम्॥
मकरंद मिलिंद सुधा रस धन।
हों अनन्य बनी सुमिरु नित्यम्॥